तेरे चले जाने से….
बच्चे अपने घर बसे , माता-पिता भी चल बसें, भाई-बहन पीछे छूटें, किसे मनाऊँ अकेले में अब, कौन भला मुझसे रूठे ।
सूनापन दिल में है मेरे, रहने को यह ख़ाली मकान, बस यादों से भरी संग चार दिवारें , तस्वीरों से भरा एक संदूक रखा।

सब एक-एक करके चले गए, जीवन में अपनी दिशा चुने, बिछड़ने का ग़म उनसे दिल में था, पर मन को बहलाया हमने था, दुनिया का अमर यही दस्तूर रहा, जो आया है उसने तो जाना है, बिछड़ना भी जीवन का ही एक दिलचस्प अफ़साना है ।
बहुत से आए, बहुत गए जीवन के इस रंगीन मेले में, हर मोड़ पर साथ जो तुम्हारा था तो टूटे नहीं हम अकेले में ।

पर तुम्हारे जाने से दिल में मेरे एक अजीब सा ग़म बस गया, साँसें चलतीं हैं अब भी मेरी पर जीना जैसे हो थम गया।
सोना-उठना, खाना-पीना, जीवन का चक्र तो चलता है, पर ये ख़ालीपन मेरे बूढ़े दिल को सच कहूँ बहुत ही खलता है !

कहता नहीं हूँ किसी से कुछ भी, ना कोई शिकायत मैं करता हूँ, मुस्कुराकर मिलते सब मुझसे, मैं भी मुस्कुराकर ही मिलता हूँ ।
ना दिल के ज़ख़्म दिखाता हूँ, ना ग़म अपने बतलाता हूँ, पर रात को सोते वक्त बिस्तर पर अपने जब तकिये को सहलाता हूँ तब याद तुम्हारी दिल में मेरे रोज़ ही चली आती है, रोता नहीं मैं सिसकियाँ भरकर अब, पर दिल में चुभन रह जाती है ।

शायद इसी लिए सभी रिश्तों में बस इसी रिश्ते को ‘जीवनसाथी’ कहा जाता है, क्योंकि इसके चले जाने के बाद ख़ुद ही के जीवन से ख़ुद का ही साथ छूट जाता है, साँसें तो चलतीं है जितनी लिखीं है रब ने पर, एक ख़ालीपन अंत तक रह जाता है !
– सोनाली बक्क्षी
१२/१०/२०२१
Very meaningful sonali..hard fact of life… unavoidable.
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Thank you Vaishali.
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Wow😍
Touched, So true…
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Thank you Neeta.
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🙏💕
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