
आजा मेरी प्यारी चिड़िया !!
चूँ-चूँ-चीं-चीं करतीं चिड़ियाँ, हर आँगन में फुदकतीं चिड़ियाँ, खिड़कियों के फ़लक, रोशन-दान के आड़े, घास बुन-बुन घोंसले बनातीं चिड़ियाँ । सूरज कि पहली किरन के संग स्वर सुरीले यूँ गाती चिड़ियाँ, नन्हें राकेश के कोमल मन को खुश कर बहुत ही भाँति चिड़ियाँ । कहते थे बाबा, “ सुन लो राकेश, पंखा तेज़ न चलाना तुम। कोटर में घर उसने बना रखा है, अपनी लापरवाही … Continue reading आजा मेरी प्यारी चिड़िया !!